मज़दूर
मज़दूर
हम सब हैं मज़दूर यहां पर
सब दिन भर करते हैं काम।
जीवन भर करते कर्म अपना
मिले न कभी किसी को आराम।।
कोई गरीब है कोई अमीर यहां
कोई पैदल कोई रखे है कार।
कोई साहेब बन बैठा हुकुम डुलाए
कोई करता है सबपर उपकार।।
मालिक तो बस एक है यहां
बाकी सब उसके मजदूर।
अपने अपने कर्मों के लेखों से
हर कोई है यहां मजबूर।।
हे भगवान! सबको तुमने है बनाया
सबका रखना तुम्हीं ध्यान।
हर कोई तो बन्दे तेरे प्रभु
जीव जंतु पेड़ पौधें या इंसान।।
