ग़ज़ल
ग़ज़ल
हमें पूछो बड़ा मुश्किल है गैरों से मिले जाना
सभी रातों में तेरे ग़म में मेरा यूँ ही जले जाना।
सितारों से घिरा है तो न जाने क्यों अकेला है
बिना सूरज के जैसे हो कलियों का खिले जाना।
अधूरा हूँ मग़र जाना तुम्हें पूरा मैं कर दूँगा
उम्र भर हो सके तो संग हमारे ही चले जाना।
मिले हो तुम मुझे अब तो मुद्दतों की दूरी पर
अभी भी हो न जाने क्यों लबों को तुम सिले जाना।
मुश्किल है गगन का अब बिना तेरे जिये जाना
घटे है ये सनम ऐसे बर्फ का हो गले जाना।