बंटवारा
बंटवारा
ये संपूर्ण जीवन
बंटवारा है
यूँ तो सब
अपने बनते हैं
परंतु जड़
काटकर उखाड़ने
को आतुुर हैं
इस पृथ्वी
को भी नहीं
बख्शा किसी ने
ये तुम्हारा देश
वो हमारा देश
कहकर पुकारते हैं
ये तुम्हारा ध्व़ज
वो हमारा ध्वज
दिखाकर राष्ट्रों को
पहचानते हैं
न यहाँ
प्रेेम बाकी है
न राष्ट्र के
लिए भक्ति
बाकी है
तो बस
बंटवारा।
