व्यक्त कर
व्यक्त कर
दबा-दबा सा
रहता है
घुटा -घुटा क्यों
बैठा है
क्या है तेरे
मन में बता
कब निखरेगा
व्यक्तित्व तेरा
क्या ऐसा ही
तू रह जाएगा
कभी कुछ
व्यक्त न कर पाएगा
क्या तेरा भविष्य
संंवर जाएगा
अब तू न
पहले जैसा रहा
जो मन में आया
व्यक्त कर पाया
अब तेरा
अच्छा समय
आया है
समझ जा
वक्त की नज़ाकत को
और उभर जा
छोड़ के
शराफ़त को॥