मेहनत (गजल)
मेहनत (गजल)
बिना मेहनत कुछ भी हासिल नहीं होता,
खुद ही काटने पड़ते हैं
दुख जिंदगी में दुखों में कोई शामिल नहीं होता।
कर देते हैं अरमानों का कत्ल कुछ लोग,
कैसे कहें हर जगह कातिल नहीं होता।
शहीद हो जाता है निरंतर लड़ता हुआ जब सैनिक
कोई कौन कहता है वो बहादुर नहीं होता।
जिंदा दिल है जब तक हौसला, मंजिल का राह
कभी मुश्किल नहीं होता।
बढ़ना जानता है जो मुसाफिर आगे की तरफ
उनके रास्ते में रात को भी अंधेरा नहीं होता।
मंजिल नजर आए या ना आए,
उनका कदम कभी पीछे नहीं होता।
झरना जब मिल जाता है
समुंदर से, उसके लिए कभी साहिल हमसफ़र नहीं होता।
क्यों डरता है, मुसीबतों व उलझनों से ऐ बन्दे,
इन से डर कर कोई भी कारवाँ फतह नहीं होता।
मेहनत करना फितरत है
इंसान की सुदर्शन, मेहनत का फल कभी कड़वा नहीं होता।