जीवित जीवन
जीवित जीवन
हम भी
कभी जवां हुए
पर ऐय्याशी तो
कभी न की,
हम खैर रवां
भी हुए
पर रवानी तो
कभी न की,
हम होंगे
बेशक बूढ़े भी
पर कौन जाने
समा क्या हो?
हमें लगा है
सब कुछ
आसां सा
पर हुआ नहीं कुछ,
आसानी से
अब बाट है
उस राही की,
जो साथ तो
दे सफर में
पर करे
जफा न कभी
इस आस में
जीवन जीवित है
तभी नहीं ये
सीमित है॥