*मंजिल दूर है*
*मंजिल दूर है*
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पथ की बाधाओं से तू भयभीत न होना कभी।
सामना हिम्मत से करे तो विजय निश्चित तेरी।
रस्ते के पत्थर नहीं, ये सीढ़ियाँ मंजिल की हैं।
दूर मंजिल है तेरी, पर बाजुओं में बल भी है।
राह के शूलों को तू फूलों की माला समझकर।
बढ़ता चल आगे ही आगे अपनी मंजिल की तरफ।
सारी बाधाएँ स्वयं ही हारकर हट जाएँगी।
तेरी मंजिल का तुझे रस्ता वही दिखलाएँगी।