मन में है विश्वास
मन में है विश्वास
मेघ गरज कर बरस रहे हैं, हवा रही फुफकार।
बच्ची को शाला जाना, सपने करने साकार।
तेज हवा के झोंकों से, छाता कहीं उड़ न जाए,
और कहीं बच्ची शाला तक, सकुशल पहुँच न पाए।
गये हाथ में लेकर छाता, पापा उसके साथ।
बच्ची की छतरी पर, टिका दिया था अपना हाथ।
अब बच्ची निश्चिंत थी, पूरी होगी मेरी आस ।
सकुशल शाला पहुँच जाऊँगी, मन में था विश्वास।