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रंजना उपाध्याय

Inspirational

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रंजना उपाध्याय

Inspirational

देश प्रेमी

देश प्रेमी

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हम अपने सिलसिला का, इतना धाक रखते हैं।

उसे पता नहीं कि हम, कितना हिसाब रखते हैं।

भला हम कैसे माँगे उनके कर्मों का हाल- चाल।

उसके पास मेरे हर सवाल का जवाब रहता है।


हम तुक्ष्य हैं मामूली सी है हैसियत रखने वाले।

तुम्हारे दोस्ती की आग की लपटों का ख्याल है।

जिसे तुम ओछा और शक्तिहीन समझते हो।

उन्हीं लोगों ने अक्सर देश के लिए जान दिया है।

सीने पर खाकर गोली बात करते हैं आज़ादी की।

उन माँ से पूछो तो कोई, आँखों में कितने सपने है।


ग़ायब हुआ उन माँ के कलेजे का प्यारा सा टुकड़ा।

उस माँ के सामने लोग कानून की पोटली खोलते हैं।

कितनों ने खुद को देश के लिए समर्पित कर दिया।

वक्त के साथ खुद को धरती माँ का पुत्र समझ लिया।।



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