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रंजना उपाध्याय

Abstract

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रंजना उपाध्याय

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सत्य मार्ग के पथिक

सत्य मार्ग के पथिक

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दिल मे अरमाँ, आंखों में सपने,

छूट गए गए मेरे अपने।

मन मे एक छोटा सा ख्वाब सजाये,


कठिन मार्ग पर चलते रहे।

फिर भी हम सबसे डरते रहे,

हम तो दिलों में रहने वाले,

हम सत्य मार्ग पर चलने वाले।


हमको राहों में कितने भी कष्ट मिलें,

फिर भी हम अपनी जुबां से न हिलें।

किया हमेशा तुम्हारा आँगन गुलशन,

सुलझाया हमने अपना खुद का उलझन।


किया हमने हर बार समर्पण,

फिर भी हम सबसे डरते रहे।

हम तो दिलों में रहने वाले,

हम सत्य मार्ग पर चलने वाले।

सत्य मार्ग पर चलना बहुत कठिन मार्ग रहा,


लड़ते झगड़ते चलते रहे

सफर मेरा आसान हुआ।

इस धरा की सौंधी मिट्टी की खुशबू ने,

सफर आसान और सम्मान दिया।


काली अंधियारी रात में

दीपक ने किया उजाला,

हम तो दिलों में रहने वाले,

हम सत्य मार्ग पर चलने वाले।


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