STORYMIRROR

रंजना उपाध्याय

Others

4  

रंजना उपाध्याय

Others

समय की सुई

समय की सुई

1 min
136

रोज मर्रा की जिंदगी में ,

भागमभाग लगी पड़ी है।

सुबह शाम की उठापटक,

हे!समय तुम हो बड़े नटखट।

बढ़ता जाए समय की सुई,

बच न पाए इससे कोई।

अहंकार न कर इस जीवन मे,

अजर अमर न इस जीवन मे।

हे मानव किसी से मुंह न फेर,

अंत समय तक न कोई शेर।

कहीं दिन कहीं रात होती है,

कभी फूलों की बरसात होती है।

समय है बहुत बड़ा बलवान,

समय की है न कोई कमान।

करते रहिए नित्य प्रतिदिन प्रयास,

ताकि खुद को हो सत्य का आभास।

यह जीवन बना लीजिए कुछ ख़ास,

खुश करें सभी को अपनी खुशी बुलाएं अपने पास।



Rate this content
Log in