समय की सुई
समय की सुई
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रोज मर्रा की जिंदगी में ,
भागमभाग लगी पड़ी है।
सुबह शाम की उठापटक,
हे!समय तुम हो बड़े नटखट।
बढ़ता जाए समय की सुई,
बच न पाए इससे कोई।
अहंकार न कर इस जीवन मे,
अजर अमर न इस जीवन मे।
हे मानव किसी से मुंह न फेर,
अंत समय तक न कोई शेर।
कहीं दिन कहीं रात होती है,
कभी फूलों की बरसात होती है।
समय है बहुत बड़ा बलवान,
समय की है न कोई कमान।
करते रहिए नित्य प्रतिदिन प्रयास,
ताकि खुद को हो सत्य का आभास।
यह जीवन बना लीजिए कुछ ख़ास,
खुश करें सभी को अपनी खुशी बुलाएं अपने पास।