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रंजना उपाध्याय

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रंजना उपाध्याय

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समय की सुई

समय की सुई

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रोज मर्रा की जिंदगी में ,

भागमभाग लगी पड़ी है।

सुबह शाम की उठापटक,

हे!समय तुम हो बड़े नटखट।

बढ़ता जाए समय की सुई,

बच न पाए इससे कोई।

अहंकार न कर इस जीवन मे,

अजर अमर न इस जीवन मे।

हे मानव किसी से मुंह न फेर,

अंत समय तक न कोई शेर।

कहीं दिन कहीं रात होती है,

कभी फूलों की बरसात होती है।

समय है बहुत बड़ा बलवान,

समय की है न कोई कमान।

करते रहिए नित्य प्रतिदिन प्रयास,

ताकि खुद को हो सत्य का आभास।

यह जीवन बना लीजिए कुछ ख़ास,

खुश करें सभी को अपनी खुशी बुलाएं अपने पास।



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