अदालत
अदालत
जब लगती है उसके दरबार मे अदालत,
तब सभी मौन मुद्रा में करते हैं इबादत।
अदालत भी और फैसला भी उसकी होगी,
क़ुबूल कर लेंगे सारे गुनाह जो सजा होगी।
दर्ज करेंगे मेरे अपने मुक़दमें मेरे अक्स की,
देंगे हम अपनी दलीलें स्वयं पक्ष निष्पक्ष की।
बेगुनाह साबित कर देंगे हम खुद अपने आपको।