समर्पण-प्रस्तुत उदात्त प्रेम सागर-सा गम्भीर होता है। समर्पण-प्रस्तुत उदात्त प्रेम सागर-सा गम्भीर होता है।
कभी कुछ व्यक्त न कर पाएगा क्या तेरा भविष्य संंवर जाएगा कभी कुछ व्यक्त न कर पाएगा क्या तेरा भविष्य संंवर जाएगा
प्रकृति का व्यक्त प्रतिदिन आभार करें। पर्यावरण रक्षा का संकल्प एक बार करें। प्रकृति का व्यक्त प्रतिदिन आभार करें। पर्यावरण रक्षा का संकल्प एक बार करें।
हम तो सबकी बात मानते व्यक्त करें आभार। हम तो सबकी बात मानते व्यक्त करें आभार।
वो कागज़ का पन्ना, जिसपर चंद शब्दों के माध्यम से, अपनी अनेक भावनाएँ व्यक्त कर सकते है वो कागज़ का पन्ना, जिसपर चंद शब्दों के माध्यम से, अपनी अनेक भावनाएँ व्यक्त...
शिव रूप तुम ही तुम ही शिवा हो, मृग छाल तन पर भभूत लपेटे हो, शिव रूप तुम ही तुम ही शिवा हो, मृग छाल तन पर भभूत लपेटे हो,