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Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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शिव स्तुति

शिव स्तुति

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देवों के देव महादेव तुम,

त्रिनेत्र हो त्रिकालदर्शी हो,

जटा में गंगा समेटे हुए सदा,

भक्तों की तुम शक्ति हो।


विषपान करते तुम नीलकंठ हो,

अव्यक्त तुम, तुम ही व्यक्त हो।

सर्प बिच्छू कीट सभी सेवक है,

कैलाश पर्वत वासी तुम गौरीशंकर हो।


शिव रूप तुम ही तुम ही शिवा हो,

मृग छाल तन पर भभूत लपेटे हो,

नंदी की सवारी तुम्हारी है सदा से,

तुम पशुपतिनाथ तुम दीर्घेश्वर हो।


सत्य भी तुम ही तुम ही सुंदर हो,

जगत के पालनार्थ तुम मार्गदर्शक हो,

तुम ही पार्वती पति भोले अडभंगी हो,

भांग बिल्वपत्र धतूरा के तुम प्रशंसक हो।


हे प्रभु महादेव, तुम ही सर्वेश्वर हो,

तुमसे ही सारी सृष्टि तुम नियंत्रक हो।


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