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Akanksha Gupta (Vedantika)

Tragedy

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Akanksha Gupta (Vedantika)

Tragedy

शहर मे गांव

शहर मे गांव

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शहर की अमीरी के आगे

बेबस है गांव की गरीबी


भूख से तड़पते इस पेट को

ललचाते शहरों के पकवान


भरे हुए पेट यह कभी न समझे

भूखे सो रहे कितने परिवार


महलों में रत जगे हो रहे

आंखों में कटी है सारी रात


मेहनत की थकान है इतनी

गहरी नींद सोये कामगार।


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