Akanksha Gupta (Vedantika)
Tragedy
शहर की अमीरी के आगे
बेबस है गांव की गरीबी
भूख से तड़पते इस पेट को
ललचाते शहरों के पकवान
भरे हुए पेट यह कभी न समझे
भूखे सो रहे कितने परिवार
महलों में रत जगे हो रहे
आंखों में कटी है सारी रात
मेहनत की थकान है इतनी
गहरी नींद सोये कामगार।
मिलन का रंग
मोहब्बत का दा...
ज़िंदगी
ज़िम्मेदारियों...
सौगात
बाकी है
अधूरी रह गई
नसीब में नहीं...
दिल की नज़र से
वीरानियाँ
जिसने जैसे भी चाहा ढाला उसे सभी की ही उस पर मनमानी रही. जिसने जैसे भी चाहा ढाला उसे सभी की ही उस पर मनमानी रही.
अंकल जी को एक दिन लकवा मार गया, पूरा परिवार मुसीबतों में ही जैसे आ गया। अंकल जी को एक दिन लकवा मार गया, पूरा परिवार मुसीबतों में ही जैसे आ गया।
अपनी रजाई के साथ मनाइए अच्छा लगे तो फारवर्ड करते जाइये। अपनी रजाई के साथ मनाइए अच्छा लगे तो फारवर्ड करते जाइये।
जो रिश्ते दिल की गहराईयों से जुड़े थे, उसमें कई रिश्तो को हार्ट अटैक आ चुके हैं। जो रिश्ते दिल की गहराईयों से जुड़े थे, उसमें कई रिश्तो को हार्ट अटैक आ चुके है...
खुली अदालत में सज़ा देनी चाहिए…. समाज के कलंक ये साफ़ होना चाहिए। खुली अदालत में सज़ा देनी चाहिए…. समाज के कलंक ये साफ़ होना चाहिए।
दहलीज…मायके की,जब लांघी थी। ढुरके थे दो बूँद आँसुओं के. दहलीज…मायके की,जब लांघी थी। ढुरके थे दो बूँद आँसुओं के.
शिकवा गिला है अगर तो बता दे मुझको तू रिश्ता नहीं ये महकता दिखाई देता है। शिकवा गिला है अगर तो बता दे मुझको तू रिश्ता नहीं ये महकता दिखाई देता है।
करो अपना बचाव ,डोज है जान तुम्हारी मास्क नहीं लगाकर , बढा रहे महामारी। करो अपना बचाव ,डोज है जान तुम्हारी मास्क नहीं लगाकर , बढा रहे महामारी।
ज्ञात था उनकी मुख कि मौन धारा, बेचैन थी मुक्ति को जैसे कोई परिन्दा। ज्ञात था उनकी मुख कि मौन धारा, बेचैन थी मुक्ति को जैसे कोई परिन्दा।
मिला मुझको क्या तुझसे मिलकर जिंदगी पहले गुजर रही थी हंसते हंसते मिला मुझको क्या तुझसे मिलकर जिंदगी पहले गुजर रही थी हंसते हंसते
राशन पानी घर बिजली की किश्तों की भुगतान में ज़िन्दगी खोते लोग राशन पानी घर बिजली की किश्तों की भुगतान में ज़िन्दगी खोते लोग
तुमने जलाए दिए बहुत, पर हमने अंधेरों को चुना। तुमने जलाए दिए बहुत, पर हमने अंधेरों को चुना।
जीया नहीं जा रहा मर जाऊं कैसे उलझन में पड़ी जिंदगी को इससे छुड़ाऊं कैसे जीया नहीं जा रहा मर जाऊं कैसे उलझन में पड़ी जिंदगी को इससे छुड़ाऊं कैसे
सोच रहा था किसको देखूं दिल की व्यथा किसे सुनाऊँ सोच रहा था किसको देखूं दिल की व्यथा किसे सुनाऊँ
मेरा बचपन अभी ज़िंदा है मौत भी जिससे शर्मिंदा है मेरा बचपन अभी ज़िंदा है मौत भी जिससे शर्मिंदा है
और जुगनू तेरी किस्मत तू जुग जुग जल, तू जुग जुग जल और जुगनू तेरी किस्मत तू जुग जुग जल, तू जुग जुग जल
तनिक धक्के से गिर जाये लड़खड़ा के तनिक धक्के से गिर जाये लड़खड़ा के
उछल थी,कूदती मैं कभी, संग सखियों के नाची गाती। उछल थी,कूदती मैं कभी, संग सखियों के नाची गाती।
बैठती हूं सोचने, हृदय भर आता है।। झांकती हूं आस-पास तब दिखता है, बैठती हूं सोचने, हृदय भर आता है।। झांकती हूं आस-पास तब दिखता है,
भयभीत है राजा हर पल अपने नाम-मान को लेकर। रंक को सताती है पीड़ा। भयभीत है राजा हर पल अपने नाम-मान को लेकर। रंक को सताती है पीड़ा।