गरीबी
गरीबी
दुनिया की कैसी ये रीति है
जिसके पास सब कुछ है
उसे सब देते हैं
जिसके पास कुछ नही
उसे खाने को भी कुछ नसीब नहीं देता
इसलिए भुखमरी और गरीबी छा रही दुनिया में
लोग हाल बेहाल हो ठोकर खा रहे
दुनिया की कैसी ये रीति है ।।
जो सड़क किनारे बैठ भूख से बिलबिला रहे
लोगो के आगे हाथ फैला रहे
फिर भी कुछ लोग
उन्हे अपमानित कर आगे बढ़े जा रहे
उनके चेहरे की सिकन देख
उन पर दया नहीं खा रहे और
उन्हे पैरों से कुचले जा रहे
दुनिया की कैसी ये रीति है ।।
ऐसे लोगों के बारे मे क्या बोलूं
ममता और दया तो उनके दिल से निकले जा रहे
कभी उनकी जिंदगी मे ऐसा दिन आता है
तब उन्हे याद वो मंज़र आता है
तब पछतावा के सिवा कुछ नहीं कर पाते
दुनिया की कैसी ये रीति है ।।
