लौह स्तंभ सा समाज बने, जिसे कोई न सकता तोड़। लौह स्तंभ सा समाज बने, जिसे कोई न सकता तोड़।
पुष्प की पंखुरी अधखुले युग अधर मंद मुसकान को अब दबाओ न तुम पुष्प की पंखुरी अधखुले युग अधर मंद मुसकान को अब दबाओ न तुम
ओ आसमान बना लूँ तुझे कैनवास ले लूँ रंग धर्म के, जाति के ओ आसमान बना लूँ तुझे कैनवास ले लूँ रंग धर्म के, जाति के
यह तो रीति रिवाज है, नाम मिला संस्कार। करते कन्यादान हैं, कभी नहीं व्यापार।। यह तो रीति रिवाज है, नाम मिला संस्कार। करते कन्यादान हैं, कभी नहीं व्यापार।।
यह दोहे जीवन निर्माण में मददगार साबित हो सकते है। यह दोहे जीवन निर्माण में मददगार साबित हो सकते है।
प्रेम अलंकृत तुम से ही है प्रेम अलंकृत तुम से ही है