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Raja Ram Trivedi

Romance

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Raja Ram Trivedi

Romance

भीत की ओट से

भीत की ओट से

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भीति की ओट से 

एक संकेत दे 

पास आते हुये

दूर जाओ न तुम


आस की मंजरी

प्रेम की सहचरी 

चंद्रमुख ओट में

यूं छिपाओ न तुम


पुष्प की पंखुरी

अधखुले युग अधर

मंद मुसकान को

अब दबाओ न तुम


जलज पुष्प से

दो निमीलित नयन

स्वप्न तंद्रा भरम

यूं बनाओ न तुम


खोल दो मुक्त होकर

हृदय द्वार अब

रूप अवगुंठ में

कब तलक

यूं छिपाओगी तुम


आस मुझ को भी है

प्यास तुम को भी है

रीति अपने मिलन की

निभाओगी तुम


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