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Zeetu Bagarty

Inspirational

4  

Zeetu Bagarty

Inspirational

मेरा हिस्सा

मेरा हिस्सा

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मेरे रब्बा तूने सृष्टी की एक सुन्दर कहानी लिखी,

मुझे भी तूने लिखा पर कहानी में मेरा किस्सा कहाँ है...


तूने मर्द को दी,तूने औरत को दी,तूने जीव-जन्तु सबको पन्नो पे जगह दी,

समलैंगिक भी तूने ही बनाये फिर मेरा हिस्सा कँहा है...


मुझे समलैंगिक बना के बेसहारा बना दिया,

न प्यार ने अपनाया न परिवार ने अब तू ही बता मुझे जाना कँहा है...


मेरी तकदीर में लिखा क्या है कुछ बता मालिक,

जिसमे मेरे किस्से हो कहानी में वो पन्ना कँहा है...


समलैंगिक होना गर अपराध है तो मौत दे मुझे,

लेकिन मुझपे जुल़्म ढहाने वाले इस समाज की सज़ा कँहा है...


सुना था कि ईश्वर कभी किसी के साथ बूरा नही करता,

आज मरने की कगार पे हूँ गर ये अच्छा है तो बूरा कँहा है...


मुझे शिकायत ही नही कि समलैंगिक हूँ मैं,

मगर समाज में मुझे मान मिले गलत ये इच्छा कँहा है...


मैं संघर्ष ही करता आया हूँ हर पल हर दिन इस दुनिया में,

समलैंगिक को यँहा जीने का हक नही तो हमारी दुनिया कँहा है...


अब थक सा गया हूँ कि मरना चाहता हूँ,

जँहा हिजड़ा-मीठा नाम नही हो मेरा मुझे जाना वँहा है...


लोग कहते है आसमान के उस पार एक संसार बसा है,

पँहुचने का रास्त मौत है तो मेरा फंदा कँहा है...


कोई अल्लाह, कोई ईश्वर, कोई प्रभू पे हक जाताये बैठा है,

मुझे भी दुआएँ करनी है कोई बताये समलैगिक का खुदा कँहा है...


तूने ही बनाया है मुझे तू ही बता अब है ईश्वर,

जहाँ बिना ताने रह लूँ धरती पे मेरा वो हिस्सा कहाँ है...


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