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Zeetu Bagarty

Tragedy Inspirational Others

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Zeetu Bagarty

Tragedy Inspirational Others

किन्नर

किन्नर

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ना वो 'मर्द' है और ना ही पूरी 'औरत' !!

'छक्का' और 'हिजड़ा' जैसे कड़वी शब्द बोलकर,

छीन लिया जाता है उनकी शोहरत !!

उतना ही नहीं बल्कि

समाज से उन्हें धिक्कार भी दिया जाता है !! 

इंसान के श्रेणी से उसे बाहर निकाल दिया जाता है !!

ना जाने वह कितने अत्याचार सहती हैं !!

हम मनुष्य जैसे होकर भी,

समाज के कलंक बनकर रहती है !!


यार क्या कसूर है उनका ??

जिन्होंने जन्म लिया किन्नर के रूप में !!

ताली बजाकर उस जन्मे हुए,

बच्चे को आशीर्वाद दीं ईश्वर के रूप में !!

क्यों छीन रहे हैं हम उनका सम्मान ??

आखिर वह भी तो हमारी तरह है इंसान !!

 वे कलंक नहीं समझो तो 'चमत्कार' है !! 

वह स्वयं शिव और पार्वती का अनोखा 'अवतार' है !!


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