नया सफर
नया सफर
मैं जहाँ पर खड़ा हूँ वहाँ से हर मोड़ दिखता है
इस जहाँ से उस जहाँ का हरेक छोर दिखता है
ये वो किनारा है जहां सब खत्म हुआ समझो
सभी भावनाओं का जैसे अब अंत हुआ समझो।
दर्द मुझे है बहूत मगर अब उसका कोई इलाज नहीं
मैं ना लगूँ खुश मगर, मैं किसी से नाराज़ नहीं
मैंने देखा है खुद को उसकी आँखों मे कई दफा मरते हुए
उसने ये सब सहा है, हर बार मगर हँसते हुए।
बच्चे छोटे हैं मेरे बस यही उसकी मजबूरी है
मुझे वो खोजते हैं हरदम, उनसे सही जाती ना ये दूरी है
आज नहीं तो कल मुझको मौत तो आनी ही है
है सभी को अब बताना जो मेरी अनसुनी कहानी है
ये है वो रास्ता के इसपर जब भी जो भी चला है
अंतिम सफर के मंज़िल से अंत मे वो जा मिला है
कैद है हर एक इंसान जैसे अपने ही बदन मे
जाने कब गुम हो जाए ये खुद के इस चमन मे।
