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Juhi Khanna Kashyap

Drama

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Juhi Khanna Kashyap

Drama

खेलो यारों होली है।

खेलो यारों होली है।

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ब्रज में बरसते फूल,

फाल्गुन की ये होली है।

बरसाने में लट्ठमार,

मथुरा-वृंदावन से आयी टोली है।

झूम झूमकर घूम घूमकर,

खेलो यारों होली है।


कृष्ण रंग में रंगी गोपियां,

राधा खेले आंख-मिचौली है।

जो भीतर खिड़की से झांके,

तेरी ब्रज किशोरी है।


बच्चों ने खेली पिचकारी,

रंग गुलाल ने धूम मचायी है।

रंग बिरंगी लगती दुनिया,

दिल में मस्ती छायी है।

एक बरस के बाद आज फिर,

फिर से होली आयी है।

फिर से होली आयी है।


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