तकिया भी संग मेरे रोने लगा है ( मां)
तकिया भी संग मेरे रोने लगा है ( मां)
मेरी निगाहें ढूंढे हैं तुमको,
बाहों के झूले झुला दो ना माँ।
गोद में अपनी,
सर मेरा रखकर,
प्यार से मुझको सुला दो ना माँ।
मायूसियों ने यूं घेरा हुआ है,
आकर के थोड़ा हंसा दो ना माँ।
फिर से यूं अपने पास लिटाकर,
परियों की दुनियां घुमा दो ना माँ।
थक सी गई हैं,
देखो ना आँखे,
डाँट के ही अब,
सुला दो ना माँ।
सब्र ये मेरा खोने लगा है,
तकिया भी संग मेरे रोने लगा है।
फिर से मेरी बातें सुनकर,
हंसी के ठहाके लगा दो ना माँ।
बिखरे हुए मेरे बालों में,
आकर के तेल लगा दो ना माँ।
आज नहीं मन खाने का खुद से,
अपने ही हाथों खिला दो ना माँ।
उधडे हुए इस जीवन में,
प्यार के टाँके लगा दो ना माँ।
आँखों से बहती है,
अश्रु की नदियाँ,
प्यार का बांध बना दो ना माँ।
राह डगर पग है लड़खडाते,
चलना डटकर सिखा दो ना माँ।
कभी लगे है जीवन मुश्किल,
राहें आसान बना दो ना माँ।
गर्म सी रातों में,
ठिठुरन है होती। (विरोधाभास)
अपनी प्यारी,
कोमल कोमल,
बाहों की चादर,
ओढा दो ना माँ।
सीने से अपने लगा लो ना माँ।
भीड़ के मेले तो चारों तरफ हैं,
तुझसा नहीं कोई पर मेरी माँ।
कितनी बातें हैं तुमसे करनी,
सपने में आकर ही,
सुन लो ना माँ।
सब्र ये मेरा खोने लगा है,
तकिया भी संग मेरे रोने लगा है।
