STORYMIRROR

Juhi Khanna Kashyap

Tragedy

4  

Juhi Khanna Kashyap

Tragedy

काश स्वर्ग में एक ड़ाकघर होता

काश स्वर्ग में एक ड़ाकघर होता

1 min
209

काश स्वर्ग में एक ड़ाकघर होता,

रोज़ एक पत्र मेरा मिलता तुम्हे। 

यादों से लिपटा,

आंसुओं से लिखा। 


बिन तुम्हारे बीते दिन और रात,

की अधूरी कहानियों से भरा। 

बता सकती तुम्हें, 

रसोईघर में ढूंढ़ती है निगाहें,

दही चीनी का वो एक चम्मच।


जब भी कठिन इम्तिहान देने,

निकलती हूं जिंदगी का। 

थक जाती हूं जब बहुत, 

गोद ढूंढती हूं तुम्हारी सुकून के लिए। 

कभी किसी काम को करके,

खुश होती हूं,

तो ढूंढ़ती हूँ बांहें तुम्हारी।


जो मुझसे लिपटकर अपना प्यार जताएंगी। 

पर अफसोस

इनमें से कुछ नहीं मिलता अब, 

सिवाय तुम्हारी याद के !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy