तू मुझसे खफ़ा
तू मुझसे खफ़ा
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हूं मैं तुझसे या तू मुझसे खफ़ा
ऐ मन अब खुल के तू मुझको बता
गुम मैं ही था या ज़िंदगी हि को
ना था मालूम मेरे घर का पता
डर क्यों मौत का भी लगता नहीं
सांसें भी जब हो जाती हैं सज़ा
क्या हैं अब बदलना इस उम्र में
रह तू मुझसे और मैं तुझसे खफ़ा।