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Yashwant Rathore

Abstract Romance Fantasy

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Yashwant Rathore

Abstract Romance Fantasy

लिहाफ सा अहसास

लिहाफ सा अहसास

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अभी हो फूलों की बारिश,

पत्ते हवा संग मुस्काए

मीठी धुन सा संगीत ये

यूं ही है सब या तुम दिल में आए


बात तो हमारी हुई भी नहीं

या सब बातों में शब्द बन तुम समाए

वो पायल की झनकार, गुलाब की खुशबू

आपका मुस्कुराना, पंछी उड़ते पंख फैलाए


उड़ने वाला तो मन था ,हैं तन भी आज

रूई सा हलका, ये अहसास गुदगुदाए

कोई नही हैं यहां, फिर अकेला ये बावरा

किससे प्यार करे, कौन इसे चाहे...


सर्द रातों में वो लिहाफ सा अहसास

जो घेरे हैं मुझको ,मुझे गले लगाए

हसी हैं, खुमार हैं, पागल से खिलखिलाए

पैसा एक ढेला भी नहीं, तुम कैसी ये दौलत पाए।


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