ये प्यास
ये प्यास
ये प्यास कभी न बुझेगी
वो हैं मंज़िल जो कभी न मिलेगी
मिल जाये और प्यास बुझ जाये
क्या हो जब ये ज़ुनून मिट जाए
नहीं ,नहीं ,ये आग यूँ ही जलेगी
जलने में मज़ा है
पाने की सिद्दत ,फिर खोने में मज़ा है
ये दौड़ धूप यूँ ही चलेगी
बस थोड़ा आराम चाहिए
जी लगाने को नया काम चाहिए
ये चोट खाने की आदत यूँ ही रहेगी।
