जो बताना ठीक नहीं
जो बताना ठीक नहीं
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हमारे साथ किसी का होना ठीक नहीं
मेरा अकेला तुम्हें छोड़ जाना ठीक नहीं
परवाह ग़ैरो की नहीं हैं मुझे
तुम ही दे देती हो आवाज़ उन्हें
प्यार में ये हरजाना ठीक नहीं
बंद आंखों से चल रहा हूँ साथ मनहारी
कभी तुम ही न खोल दो आँख हमारी
मोहब्बत में ये नज़राना ठीक नहीं
इश्क़ की आदत सी हैं मुझे
ये ख़ुमारी इबादत सी हैं मुझे
फिर भी , यूँ जले को जलाना ठीक नहीं
जो कहती हो सब सच मान लेता हूँ
साथ तुम्हारे सिर्फ़ दिल से काम लेता हूँ
अब कह भी दो जो बताना ठीक नहीं ।