प्रेम गीत
प्रेम गीत
ये जो प्रेम जताते हो
एक राग सुनाते हो
बजा के बांसुरी की धुन
हृदय को पावन कर जाते हो
मधुबन की खुशबू को भी
जो तुम ओझल कर जाते हो
पग पग पर चलकर तुम
जो एक राग सुनाते हो
कर जाते हो तुम वाणी से क्षीण
एक बार दर्शन ना दिखाते हो
कहते हो आऊंगा मिलने
कह कर मन को बहकाते हो
करते हो तुम चतुराई कान्हा
तुम बस यूहीं सताते हो
करते हो शरारत नैनों से
शब्दों से बाण चलाते हो
कहते हो आऊंगा मिलने
कह कर मन को बहकाते हो!
अब बहुत हुआ आ जाओ
हृदय के पुष्प खिलाओ
एक बार दरश दिखाओ
फिर चाहे तो चले जाओ
मगर एक बार तुम आ जाओ।।