Neha Yadav
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ख़ुद को तराशते हैं हम
फिर निखरते हैं,
अखिल भारतीय हैं हम
जो चाहे करते हैं,
दर्द हो तो मरहम बनते
मर्ज को भी दवा बनाकर
निगल जाते हैं,
जिंदादिल हिंदवासी हैं हम
असंभव को भी,
संभव करने में विश्वास रखते हैं।
यादों की बारि...
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