देशहित में
देशहित में
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
भावों से लथपथ भरा नहीं
रण में मानुष जो खड़ा नहीं।
देश विजय की भक्ति भावना
जो भीतर लेकर अड़ा नहीं।
चित्त हरा हृदय श्वेत रंग से
चरित्र को जिसने मढ़ा नहीं।
केसरिया सी ये बस्ती सारी
जिसने अब तक भरा नहीं।
नीर सा निर्मल अक्ष वेग सा
जो नील गगन सा खड़ा नहीं।
जिनकी बलिदानी देशहित में
ना हारा फिर कभी मरा नहीं।