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पूर्वजन्म का प्यार

पूर्वजन्म का प्यार

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इस जन्म की देह को

एक तरस है तुम्हारे सम्मोहन की..!

कुछ यादें दस्तक देती है


जहन से उठती बार-बार

मेरी अनछुइ आत्म पर

अंकित है कुछ निशानियाँ..!


जैसे, चिनार की पत्तियों पर

पलाश के फूल की

पंखुड़ियाँ पड़ी हो..!


जब जब तुम गुज़रते हो

मेरे करीब से एक हलचल

महसूस होती है उर के भीतर

पहचाने पगरव के आहट की..!


एक पाक महक भर जाती है

नासिका में हवाओं संग बहती

है कुछ याद तुम्हें

क्या पूर्वजन्म की पहचान सा..!


गवाही देता है मेरा दिल तुम्हें देखते ही

ये कोई संयोग तो नहीं

जो उठता है धुँआ

हर बात हमारे मिलन पर

जो एक पीड़ छोड़ जाता है बेकरार सी..!


ये पूर्वजन्म के प्यार की

कशिश होगी जब महसूस तुमको भी

तो जान जाओगे मेरी आत्मा पे

अंकित निशानियाँ हमारे पाक

रूह की बेपनाह चाहत के चिन्ह है।


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