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आओ ढूँढे बिछड़े पलछीन

आओ ढूँढे बिछड़े पलछीन

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चलो आज ठहरी हुई

कुछ यादों को गुलज़ार करें

तुम मुझे सोचो

मैं तुम्हें याद करुँ।


बर्फीली वादियों में

एक-दूजे का हाथ थामें

चलते रहे मौन की आहटों में

धड़कन सुनें।


टुकूर-टुकूर तुम मुझे तको

मैं मंद-मंद मुस्काऊँ

देवदार के साये तले

इश्क के चलो नग्में दोहराए।


चिनार से छनकर आती किरणों में

छवि तुम्हारी देखूँ

देखो तुम मुझे शांत झील में

चेहरा मैं छुपाऊँ।


ढूँढो मुझको पंछियों की

हल्की चहचहाटों में

बावरी मैं ढूँढू तुमको

बारिश की बूँदों में।


बूँद-बूँद में तुमको पीऊँ

पीते जाओ तुम मुझको

चाँदनी रात में शबनम मैं,

ओर तुम पत्ता बन जाओ।


रुक-रुक थम-थम में गिरूँ

तुम आगोश में अपनी थामों

सुबह शाम जब बहती है

शंखनाद सी गुँजें

ढूँढे चलो एक दूजे को

आरती ओर अज़ानों में।।


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