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Rishabh Tomar

Romance

5.0  

Rishabh Tomar

Romance

दर्द दिल का न मुझसे छिपाया गया

दर्द दिल का न मुझसे छिपाया गया

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दर्द दिल का न मुझसे छिपाया गया,

ला जुबाँ पर न मुझसे बताया गया,

हर समय पूछते लोग मुझसे रहे,

नाम उसका जुबाँ पर न लाया गया|


वेदना उर की व्याकुल किये जा रही,

जख्म फिर भी न साथी दिखाया गया,

इस कदर जग ने मुझको है तोड़ा यहाँ,

हाल दिल का न मुझसे सुनाया गया|


चाह में उसकी जग को भुलाया मगर,

एक उसको न दिल से भुलाया गया,

याद उसकी हृदय चीरने जब लगी,

प्रेम पन्नो में फिर न सुलाया गया|


मैंने कोशिश कई रात जग जग करी,

एक भी खत न उसका जलाया गया,

चाह में उसकी राधे मैं खुद मिट गया,

नाम दिल से न उसका मिटाया गया|


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