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Rahulkumar Chaudhary

Drama Romance Tragedy

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Rahulkumar Chaudhary

Drama Romance Tragedy

अनजान प्यार

अनजान प्यार

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यह सोच कर सब को याद कर के सोते है हम


पता नहीं ज़िन्दगी में कौन सी रात आखरी हो..!!

लौटा जब वो बिना जुर्म की सज़ा पाकर,


सारे परिंदे रिहा कर दिए उसने घर आकर।

खंजर की क्या मजाल, कि एक ज़ख्म कर सके,


तेरा ही ख़याल था, कि बार-बार घायल हुए हम

नीर भरी बदली

अनजान हो मगर अपनी सी लगती हो ,


मास्क में भी अब तुम कायनात सी लगती हो

रिश्ते तो बहुत होते हैं...


पर जो दर्द बांटने लगे वही असली रिश्ता है...


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