प्यार की कयामत
प्यार की कयामत


पलकों की कोरों में कुछ छुपा सा है
जाने क्यूं दिल आज भरा सा है
रातें पूछती है मेरे जागने का सबब
राहगीर आज कोई राह भूला सा है
पंछी कब का उड़ गया है डाल से
फिर कौन दिल की मुंडेर पर टिका सा है
जलते रहते है यादों के चिराग रात दिन
फिर जाने क्यूं दिल में अंधेरा सा है
बेचैन सा वो ताके कयामत का रास्ता
जिन्दगी से चांद पूनम का डरा सा है