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Ashish Bhatt

Drama Tragedy

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Ashish Bhatt

Drama Tragedy

हमसफ़र

हमसफ़र

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अपनी ही ख़ामोशी से घिरा रहता हूँ

अपनी ही साँसों के शोर से घबरा जाता हूँ


सोता तो हूँ रातों में,

पर अपने अतीत का सिरहाना लेकर

रहता तो हूँ दुनियाँ में,

पर तेरी यादों का सहारा लेकर


तन्हाई के इस खुले आसमाँ में,

बादलों की तरह बहता चला जा रहा हूँ

शोक के इस गहरे समंदर में

नाकाम चीज़ की तरह डूबा चला जा रहा हूँ 


वाक़िफ़ तो तू भी है इन हालातों से,

बस कुछ कहती नहीं है,

डूब तो तू भी रही है इस समंदर में,

बस तुझे मालूम नहीं है।


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