कम्बख्त इश्क़
कम्बख्त इश्क़
ये मोहब्बत का किस्सा
आज हमने मुकम्मल कर दिया
खुद तो सिरफिरे थे ही,
उन्हें भी पागल कर दिया
वो एकतरफा मोहब्बत की लत हमें लगी थी
हमने तो उन्हें भी इसका शिकार कर दिया
उनके ख्यालों में अक्सर
हम खोया करते थे
आज हमने उन्हें
अपने आप से अंजान कर दिया
वो रातों को नींद
हमें नहीं आती थी
मालूम चला,
आज रात वो सोए नहीं
हमारे ख्यालों ने भी कमाल कर दिया
ये प्यार, इश्क़, मोहब्बत
सब लफ्ज़ अधूरे हैं
मगर इन अधूरे लफ़्ज़ों ने
हमें पूरा कर दिया
कमबख्त इश्क़ ने भी
क्या कमाल कर दिया
खुद बेकसूर बनकर
हमें गुनाहगार कर दिया।