खत्म 'अरविन्द' ना हो किस्सा, इस कलम का हुनर बाकी है ।
उसके अधरों का हल्का स्पर्श अपने कपोल पर अनुभव किया। उसके अधरों का हल्का स्पर्श अपने कपोल पर अनुभव किया।