याद
याद
मेरे लबों पर तेरा नाम था
बस तेरी ही बात थी
हर बात में तेरा ज़िक्र था
बस तेरी ही याद थी
हर लम्हा खास था
क्योंकि वो लम्हा...तेरे नाम था
शायरी लिखना मेरी आदतों में शुमार था
क्योंकि तुझे लिखना...मेरा काम था
काश..
तू वो नज़्म पढ़ पाता
जिनमें तेरा ज़िक्र शुमार था
काश..
तू उस प्यार को समझ पाता
जिस पर हमें गुमान था
मेरी ज़िंदगी की किताब का
हर पन्ना तुझसे जुड़ा था
मेरे इतने करीब होकर भी
क्यों तू मुझसे जुदा था
तेरे पास होने का एहसास
हर वक्त मेरे पास था
बस..तू पास नहीं था
तेरी हर याद मेरे साथ थी
बस...तू साथ नहीं था