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Palak Inde

Romance

4.0  

Palak Inde

Romance

बनावट

बनावट

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296


उसे पाना ख्वाब था मेरा

और मैं उसकी हकीकत बनूँ

उसके लिए मर सकती थी

मगर, उसके जीने की वजह बनूँ

उस पर सिर्फ मेरा हक हो

सब से परे, मैं उसकी बनूँ

मेरी ज़िंदगी के सब रंगों में वो हो

मगर उसकी बनाई तस्वीर मैं बनूँ

नींदें उसके लिए गंवाई मैने

उसके ख्वाबों की हकदार मैं बनूँ

वो हमसफर मेरा हो

उसकी सुख दुख की साथी मैं बनूँ

मैं अपने दिल की हर बात उससे कहूँ

मगर, उसकी हमराज़ सिर्फ मैं बनूँ

वो मेरी हर खुशी में शामिल हो

मगर उसके हर दर्द की दवा मैं बनूँ

कितनी ही शायरी क्यों न लिख लूँ

मगर, उसकी लिखी पहली कविता मैं बनूँ।



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