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AKSHAT YAGNIC

Romance

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AKSHAT YAGNIC

Romance

मेरे साए

मेरे साए

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तूफान ला दिया उसने आई जो

उसके खूबसूरत होठों पर हंसी तहलका मचा दिया

उसने जब देखा

अपनी सुंदर आंखों से मुझे 

उसके होठों की कली जब जब खिली

तब तब मुझको एक असीम शांति मिली

 उसके घने बाल जब जब लहराए मुझसे मिलने आए

मेरे साए कहा कि हमें चाहिए

इंसानी रूप कि हम महसूस कर सकें

उसकी ठंडी छांव और धूप

मेरे ही साए से मैं झगड़ पड़ा 

मैंने कहा यह तो होगा अन्याय बड़ा 

उसके होठों की कली पर सिर्फ मेरा हक है

उसकी आंखों की मस्ती पर सिर्फ मेरा हक है

उसके घने बालों की खुशबू से मेरा आंगन महकता है

उसकी गालों की लाली से मेरा रोम रोम खिलता है

इसलिए अपने साए से भी लड़ पड़ा मैं

नहीं बांट सकता उसकी खूबसूरती किसी के भी साथ

 मेरे हाथों में रहेंगे हमेशा उसके हाथ


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