यही सुकून यही मोहब्बत और ये सुनहरा आसमान
यही सुकून यही मोहब्बत और ये सुनहरा आसमान
यही सुकून यही मोहब्बत
और ये सुनहरा आसमान
नजारा भी यही होगा
तुम आओ एक दफा
किनारा भी यही होगा
नहीं कोई अधूरापन
नहीं कोई धुंधलापन होगा
तुमने देखे थे जो ख्वाब वो अब पूरा होगा
इतनी गहराई में न तुम खुद को खोजो
राज को राज ही रहने दो
आगे अब कैसे बढ़ना है ये अब सोचो
तस्वीर कभी पुराने नहीं होते
दिल में रहने वाले बेगाने नहीं होते
अपनी यादों को दिल से लगाओ
दूर हो जायेंगे सारे दुःख इतना तुम शोर मचाओ
नज़रें बदल जायेंगे तो नज़ारे बदल जायेंगे
सुबह हो जाएगी तो किनारे मिल जायेंगे
कहानियों को किताबों में ही रहने दो
अब सूरज की लालिमा को और भी उभरने दो
यही सुकून यही मोहब्बत
और ये सुनहरा आसमान कितना प्यारा लगता है ....