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प्रमिला भाटी 'किरण'

Drama Inspirational

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प्रमिला भाटी 'किरण'

Drama Inspirational

अरमान

अरमान

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सब कुछ पा लिया है मैंने,

बस अब मैं खुद को पाना चाहती हूँ,

अपने अधूरे-बिखरे सपनों को,

अपने हाथों से सजाना चाहती हूँ।


आज उम्र के इस दौर में भी

कई शरारतें छुपी हैं मन में,

मौका मिला तो मैं खुदा से फिर

वो बचपन का ज़माना चाहती हूँ।


अक्सर रात की तन्हाइयों में ,

लिखी थी जो प्यार-भरी गज़लें

आज भरी महफ़िल में उनको

जी भर के गुनगुनाना चाहती हूँ।


कुछ दिल की अनकही बातें,

दिल में ही रह ना जाये कहीं,

कुछ ख़ास अपनों से मिलकर

मैं वो बातें बताना चाहती हूँ।


मानती हूँ ,कुछ रिश्तों में

हल्की दरारें दरमियाँ है मगर,

अब दिल की गहराइयों से

हर वो रिश्ता निभाना चाहती हूँ।


एक वक़्त था जब खुदा से लगते

शिकायतों के सिलसिले यूँ ही,

अब आलम ये है कि मैं हर पल

सजदे में सर झुकाना चाहती हूँ।


शुक्रिया तुम्हारा रब ,

तुम्हारे दिए हर एक तोहफे का

मैं दोबारा जन्म लेकर फिर

प्यारे मेवाड़ में आना चाहती हूँ।


रुलाया था मुझे जिंदगी भर

रह-रह कर जिन ग़मों ने कभी,

मैं हरदम मुस्कुरा कर अब

उन ग़मों को रुलाना चाहती हूँ।


यूँ तो लोगों से सुने है मैंने

काले जादू के किस्से कई,

मैं अपनी कलम का नीला जादू

पूरी दुनिया पर चलाना चाहती हूँ।


सब कुछ पा लिया है मैंने,

बस अब खुद को पाना चाहती हूँ,

अपने अधूरे-बिखरे सपनों को

अपने हाथों से सजाना चाहती हूँ।।


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