"बात रह गई"
"बात रह गई"
आदमी चला गया, बस बात रह गई
आंखों में अधूरी ही बरसात रह गई
यह कैसा हुआ है, मुझ पर सितम
वक्त की सीने पर एक लात रह गई
हम सोचते ही रह गये, वो चला गया
किसी अपने से मुलाकात रह गई
इस जिंदगी का कोई भरोसा नहीं
जिंदगी जीओ, हंसकर रोकर नहीं
आज है, हो सकता वो कल हो नहीं
सबसे प्रेम से रहो, प्रेम जिंदगी बही
सुबह निकल गई, बस रात रह गई
आदमी चला गया, बस याद रह गई
ये धन-दौलत, गुमान सब यहीं रह गये
काया तो जल गई, बस राख रह गई
किसी से साखी यहां पर तू न रख, बैर
सब ही अपने है, कोई न यहां पर गैर
तू भी रख ध्यान सबसे कर यहां प्रेम
जो भी रिश्ते है, सबकी रखेंगे खुदा, खैर
हम रूठने में रहे, बिना बोले बात रह गई
एक बोलने से, मनुष्यता की लाज रह गई
यूं अकड़ कर चलने से, खजूर के पेड़ जैसे
बहुत दूर सबसे ही तेरी मुलाकात रह गई
खुद को बना चंदन, तोड़ ले जहरीले बंधन
चंदन की तो कटने बाद वो औकात रह गई
कटकर भी कोसों दूर खुश्बू सौगात रह गई
आदमी चला गया, पर अच्छाई याद रह गई