कुछ तकलीफ है इन आँखों में...
कुछ तकलीफ है इन आँखों में...
कुछ तकलीफ है इन आँखों में ,कुछ अभी बाकी है ,
नज़ारे को देख ऐसा लगता है ,
ग़मे दीदार को तड़पते है इस कदर ,
कुछ दीदार हुआ है कुछ अभी बाक़ी है ,
इतने मोहब्बत से तुम मेरे तरफ न देखो ,
कुछ इश्क़ हुआ कुछ अभी बाक़ी है ,
गुमनाम कही यूँ ही न तुम भी न हो जाओ ,
बस तुम्हारी तलाश करने की खबर ही बाक़ी है ,
सदक पैमाने को देख मै यूँ समझता हूँ ,
इसके टूट जाने के आवाज बाक़ी है ,
खुदा से क्या अब जुस्तजू है तेरी ,
खुदा के नाम की अब चिट्टी ही बाक़ी है,
कुछ तकलीफ है इन आँखों में ,कुछ अभी बाकी है। ....
