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आनन्द राज

Abstract

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आनन्द राज

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कुछ तकलीफ है इन आँखों में...

कुछ तकलीफ है इन आँखों में...

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कुछ तकलीफ है इन आँखों में ,कुछ अभी बाकी है ,

नज़ारे को देख ऐसा लगता है ,

ग़मे दीदार को तड़पते है इस कदर ,

कुछ दीदार हुआ है कुछ अभी बाक़ी है ,

इतने मोहब्बत से तुम मेरे तरफ न देखो ,

कुछ इश्क़ हुआ कुछ अभी बाक़ी है ,

गुमनाम कही यूँ ही न तुम भी न हो जाओ ,

बस तुम्हारी तलाश करने की खबर ही बाक़ी है ,

सदक पैमाने को देख मै यूँ समझता हूँ ,

इसके टूट जाने के आवाज बाक़ी है ,

खुदा से क्या अब जुस्तजू है तेरी ,

खुदा के नाम की अब चिट्टी ही बाक़ी है,

कुछ तकलीफ है इन आँखों में ,कुछ अभी बाकी है। ....


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