मेरा मन
मेरा मन
हे मेरे मन
कुछ करना है, तो डट कर थोड़ा दुनियाँ से, हट कर
सीधे रास्ते पर तो सभी चलते हैं तू चल इतिहास को पलट कर
बिना काम के, मुकाम कैसा, बिना मेहनत के, दाम कैसा !
जब तक ना हासिल हो मंजिल तो राह में आराम कैसा !!??
अर्जुन सा अचूक निशाना रख जो ठाना वो कर, ना कोई बहाना रख
तेरा लक्ष्य बस सामने ही है बस उसी पे, अपना ठिकाना रख
सोच मत सपने साकार कर अपने कर्मो से, प्रेमिका सा प्यार कर
मिलेगा तेरी मेहनत का फल किसी और का मत इंतज़ार कर
जो कभी चले थे अकेले इतिहास में उनके पीछे, आज लोगों के मेले हैं
जो करते रहे इंतज़ार भाग्य का उनकी जिंदगी में बहुत से झमेले हैं
कुछ करना है, तो डट कर थोड़ा दुनियां से हट कर
मेहनत कर और थोड़ा जोर लगा और तू चल, इतिहास को पलट कर।