STORYMIRROR

Sarita Tripathi

Abstract Inspirational

4  

Sarita Tripathi

Abstract Inspirational

तुम बिन

तुम बिन

1 min
308

तुम बिन जीवन आधार कहाँ 

तुम बिन बाहों का हार कहाँ 

जिसदिन छोड़ गयी मुझको 

उस दिन से है घर द्वार कहाँ 


है जन्म मृत्यु तुझसे मिलता 

तुझसे देखी सबकी ममता 

तुमने कैसे चाहा जग को 

वह पूर्व कर्म की है क्षमता 


जब आयी धरा पर सब रोये 

खुशियों से आँचल भिगोये 

अब आज उड़ी होकर बेफिक्र 

दुःख का देखो चक्षु धार बहे 


यह आना जाना ताना बाना 

इसको जितने जल्दी माना

उतने जल्दी प्रभु भान प्रिये 

कंठी माला नाम जपना गाना 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract