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Sarita Tripathi

Classics

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Sarita Tripathi

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हरियाली

हरियाली

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उड़ चली उड़ चली दूर तक मैं गगन मन पुकारे मेरा

आजा चूमे चमन पंखों को देकर थोड़ा विश्राम मैं भर लेती हूँ

निखरी धरा ये नयन दूर तक देखो फैली है


हरियाली जो पेड़ पौधे भी हैं घास की जाली

जो उड़ रही तितलियों सी

इधर औ उधर दौड़ कर है पकड़ना कहा माली

जो पीले परिधान में हरी सी डाल पे खिल रही है


कली जैसे उदय काल में मुस्कुरा के कही

जब हाय राम वो सूर्य की रश्मियाँ आ पड़ी भाल।


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