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Sarita Tripathi

Classics Inspirational

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Sarita Tripathi

Classics Inspirational

खुशी की अंतिम कड़ी

खुशी की अंतिम कड़ी

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दर्द इस कदर बढ़ाया जा रहा है 

हर मरहम छुपाया जा रहा है 

सोचती हूँ दोष क्या सोचने में है 

बात इतना घुमाया जा रहा है 


रात और दिन सबके लिए बराबर है 

कुछ को दिन रात नचाया जा रहा है 

दुःख का दरिया जब उफान पर पहुँचा 

नाम से नाम उनका मिटाया जा रहा है 


खुशी की अंतिम कड़ी जब तक रही 

उस कड़ी तक आरी चलाया जा रहा है 

टूटकर जब बिखर वो हो गयी

देखा उसे कब से उस घड़ी तक

आजमाया जा रहा है।


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